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Sunday 28 June 2020

भारत को मिली कोरोना की एक और दवा, टैबलेट के बाद अब इंजेक्शन भी आया

भारत को मिली कोरोना की एक और दवा, टैबलेट के बाद अब इंजेक्शन भी आया...

राहुल प्रकाश, नई दिल्ली: कोरोना वायरस से जंग में जुटी भारतीय दवा कंपनियां लगातार कामयाबी की बुलंदियां छू रही है। भारत में कोरोना वायरस की एक और दवा को मंजूरी मिल गई है। दवा बनाने वाली कंपनी हेटेरो का कहना है कि वह कोविड-19 के इलाज के लिए इनवेस्टिगेशनल ऐंटीवायरल ड्रग रेमडेसिवीर को लॉन्‍च करने जा रही है। कंपनी पहले ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानि डीजीसीआई से मंजूरी ले चुकी है। भारत में कोविफॉर के नाम से बेची जाएगी।

कोरोना वायरस महामारी के लिए रामबाण बताया जा रहा रेमडेसिवीर भी इस महीने के अंत तक भारत में पहुंच जाएगा। भारतीय ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI ने हाल ही में कोरोना मरीजों के लिए इमर्जेंसी केस में इस दवा के उपयोग की अनुमति दी थी।

डीजीसीआई ने भारतीय दवा कंपनी सिप्ला और हेटेरो को इसे बनाने और बेचने की अनुमति दी है।
कंपनी के मुताबिक, DGCI ने इस दवा को कोरोना के संदिग्ध और कन्फर्म दोनों तरह के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की मंजूरी दी है। हालांकि, ये इंजेक्शन सिर्फ उन्हीं मरीजों को दी जा सकती है जिनकी हालत गंभीर हो। कंपनी का कहना है कि भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोविफॉर का अप्रूवल गेमचेंजर साबित हो सकता है। क्‍योंकि इसके क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम बेहद कामयाब रहे हैं। हेटेरो का दावा है कि वह पूरे देश को ये दवा फौरन उपलब्ध कराने को तैयार है। कोरोना के लिए गेमचेंजर साबित होने वाले इंजेक्शन को बनाने वाली कंपनी का दावा है कि कोरोना का 'काल' कोविफॉर साबित हो सकता है। कंपनी का कहना है कि कॉविफोर इंजेक्शन 100 mg के वायल में बाजार में मिलेगी। इसे डॉक्‍टर या हेल्‍थकेयर वर्कर के सुपरविजन में नसों में लगाना होगा।

कंपनी ने इस दवा के लिए अमेरिका की 'गिलियड साइंस इंक' से करार किया है ताकि कोविड-19 के इलाज का दायरा बढ़ाया जा सके। हेटेरो ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन के मुताबिक कंपनी फिलहाल देश की जरूरत को पूरा करने को तैयार है और उसके पास स्टॉक की कमी नहीं है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने क्लिनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल में कहा है कि ये इंजेक्शन सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए है जो ऑक्सीजन पर हैं। इस दवा को केवल आपातकालीन चिकित्सा के रूप में शामिल किया गया है। गुर्दा संबंधी बीमारी से जूझ रहे मरीजों को ये इंजेक्शन नहीं देना है। गर्भवती महिलाओं के इलाज में भी इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। 12 साल से कम उम्र के लोगों के इलाज में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। इंजेक्शन के रूप में इस दवा की पहली खुराक एक दिन में 200 मिलीग्राम है। उसके बाद पांच दिनों के लिए रोजाना 100 मिलीग्राम का उपयोग किया जाना चाहिए।

गिलियड साइंसेज ने 29 मई को रेमेडिसविर के आयात और विपणन के लिए भारतीय औषधि नियामक एजेंसी सीडीएससीओ को आवेदन दिया था। डीसीजीआई ने 1 जून को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के तहत इसे अनुमति दी थी। 'रेमडेसिवीर ' इंजेक्शन एंटी वायरल इंजेक्शन है। यह इंजेक्शन SARS और MERS-CoV जैसी बीमारी के लिएकारगर साबित हुआ है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी उम्मीद है कि ये दवा कोरोना वायरस के खिलाभ असरदायक साबित हो सकता है। हालांकि भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय और डीसीजीआई ने साफ किया है कि इस दवा का उपयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति में ही किया जा सकता है।

हेटेरो और सिप्ला के अलावा चार और फार्मा कंपनी बीडीआर, जुबिलेंट, माइलान और डीआर रेड्डीज लैब्स ने भी भारत में इस इंजेक्शन के निर्माण और मार्केटिंग की अनुमति मांगी है और सभी भारत सरकार की हरी झंडी मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं।

भारत को मिली कोरोना की एक और दवा, टैबलेट के बाद अब इंजेक्शन भी आया....

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